Dussehra | दशहरा : बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व
परिचय
दशहरा, जिसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है, भारत का एक प्रमुख त्योहार है जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह त्योहार भगवान राम द्वारा रावण के वध और देवी दुर्गा द्वारा महिषासुर के संहार की याद में मनाया जाता है। दशहरे का महोत्सव पूरे देश में बड़े धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह पर्व न्याय, सत्य और धर्म की स्थापना का संदेश देता है।
दशहरे का ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व
दशहरे का संबंध मुख्य रूप से दो प्रमुख हिंदू ग्रंथों, रामायण और महाभारत से है।
रामायण के अनुसार, दशहरा वह दिन है जब भगवान राम ने लंका के राजा रावण का वध किया था। रावण ने माता सीता का अपहरण कर लिया था, जिसके बाद भगवान राम, हनुमान और वानर सेना की सहायता से रावण से युद्ध करने लंका पहुंचे। दशहरे के दिन रावण के अंत के साथ बुराई पर अच्छाई की जीत हुई।
वहीं दूसरी कथा के अनुसार, देवी दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था। इस युद्ध में देवी ने नौ दिनों तक राक्षसों से संघर्ष किया, जिसे हम नवरात्रि के रूप में मनाते हैं। दशहरा उस विजय का प्रतीक है, जब दसवें दिन देवी ने महिषासुर का अंत किया और संसार में शांति स्थापित की।
देशभर में दशहरे का उत्सव
भारत की विविधता दशहरे के उत्सव में भी झलकती है। देश के विभिन्न हिस्सों में इसे अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है, लेकिन मूल भावना एक ही है—बुराई पर अच्छाई की जीत।
उत्तर भारत (रामलीला और रावण दहन)
उत्तर भारत में दशहरा मुख्य रूप से रामलीला के रूप में मनाया जाता है। यह रामायण की कथा का नाटकीय रूपांतरण होता है, जिसमें भगवान राम के जीवन और संघर्षों का मंचन किया जाता है। दशहरे के दिन रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाद के विशाल पुतलों का दहन किया जाता है। इस पुतला दहन का आयोजन बड़ी धूमधाम से होता है, जिसमें पटाखे और आतिशबाजी के साथ बुराई का अंत दिखाया जाता है।पश्चिम बंगाल (दुर्गा पूजा)
पश्चिम बंगाल में दशहरा दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार विशेष रूप से भव्य होता है और देवी दुर्गा की पूजा, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और भव्य पंडालों के साथ मनाया जाता है। दशहरे के दिन देवी दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है, जो उनके मायके से विदाई का प्रतीक है।मैसूर (दसरा उत्सव)
कर्नाटक के मैसूर शहर में दशहरे का जश्न एक अलग ही शाही अंदाज में मनाया जाता है। मैसूर दशहरा की खासियत है, वहाँ की शानदार सवारी, जिसमें देवी चामुंडेश्वरी की मूर्ति को सोने के हौदे पर विराजमान किया जाता है। इस दिन मैसूर का महल हजारों दीपों से जगमगाता है और विशाल शोभायात्रा निकाली जाती है।कुल्लू दशहरा (हिमाचल प्रदेश)
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में दशहरे का उत्सव बेहद खास होता है। यहाँ दशहरा बाकी देश की तुलना में एक हफ्ते बाद मनाया जाता है। इस दौरान भगवान रघुनाथजी की पालकी को ढालपुर मैदान में लाया जाता है और हफ्ते भर तक संगीत, नृत्य और धार्मिक आयोजनों का सिलसिला चलता है।
आधुनिक युग में दशहरे का महत्व
आज के समय में दशहरे का महत्व और भी अधिक हो गया है। यह हमें यह सिखाता है कि चाहे बुराई कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो, सत्य और धर्म की हमेशा जीत होती है। रावण के पुतले का दहन हमारे भीतर की बुराइयों—जैसे क्रोध, अहंकार और लोभ—को जलाने का प्रतीक है।
साथ ही, दशहरा हमें परिवार और समाज के साथ मिलकर समय बिताने, सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेने और आंतरिक रूप से आध्यात्मिक उन्नति के लिए प्रेरित करता है। इसका संदेश केवल धार्मिक नहीं है, बल्कि यह एक नैतिक और सामाजिक महत्व भी रखता है।
निष्कर्ष
दशहरा केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक और सामाजिक उत्सव भी है जो हमें एकता, सद्भाव और नैतिकता की शिक्षा देता है। चाहे रावण दहन हो या दुर्गा विसर्जन, यह पर्व हमें हर साल यह याद दिलाता है कि सत्य, धर्म और नैतिकता की विजय सुनिश्चित है। इस त्योहार की महिमा सदियों से चली आ रही है और यह हर पीढ़ी को प्रेरित करता रहा है।